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- September 21, 2024
- Urdu Lyrics
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Nazriya e Nadir Lyrics Song Info
Song: Nazriya e Nadir
Artist: CHEN K
Direction and DOP: Awais A. Khan
Lyrics, Music, Mixing and Mastering: CHEN K
Released: Sep 21, 2024
Nazriya e Nadir Lyrics
दिल की बात पर्सपेक्टिव
नजरिया या तो मैं या शहर ये जाहिल सारा
मतलब हकीकत का बातिल बता रा मेरी मां से
दुश्मन तक को मीठा लगे खारा जिसने कामयाबी
पा ली जो जीता लगे हारा इन्हे खाई को ही
तूर लगे धूल मिट्टी इन्हें नूर लगे
मां-बाप मजहब पे मूत रहे ना महरम बच्चे
धूप चके त वाइफ इन्हें हूर लगे जानी बीवी
का रूप लगे अल्लाह तक पहुंच इनकी पर
सितारे पूज रहे तभी दुनिया से कट के रहूं
सबके तरीकों से बच के खुश मैं इस छोटे से
घर में ये पूछे किराय का या अपना निकम में
सब ये रहते सारे डर में लोग क्या कहेंगे
इनका मजहब ये मुझे कैसे समझेंगे मिट्टी के
मठ के हसद अजल की समझ जो नहीं सकते जो
सजदे समझ नहीं सके फ रिश्तों के जुदा हुए
जिस्म इनका हिस्सों में आंखें भरे कुफर
फरेबी किस्तों से सबक ये ढूंढे झूठे
किस्सों में फायदा लूटे ये सच्चे रिश्तों
से हवस और लालचन के जिस्मों में शहर छोड़
दे नादिर मुझे मेरी छट्टी हिस बोले ये
बोले शहर की आबादी कुफर दजल झूठ में रहने
की आदी औरतो में भूख ना मर्दों वाली चांद
में सूरज की आग लगा दी बेटियां परवरिश में
ऐसी मां की जो समझा नहीं सकी क्या कामयाबी
नजरें मर्दों की झुके ना जरा भी कमाना
जरूरी भाड़ में गई शादी मिलेगी आजादी तू
कपड़े उतार ग मर्दों को दे शौहर का खुमार
बेटे बाप को भी घर गाड़ी का बुखार दफा कर
ईमान तू हैसियत सुधार खा गया जमीर मर्दों
का कुफर जमीन मेरी लाश की तरा बत बुदार
सारे हस्पताल ये तिजारत दुकान कवानी नों
कवायद की रिश्वत खुराक चुप करवाता नहीं
हिस या जमीर को चाको पे चाके झूट पे चुरा
खूप रहा हूं लाखों के छाते पे मारूं मैं
टाके गानों में लाके सच अकल खोल रहा हूं
बातों पे बातें दिमाग पे ताले लाशों के
नारे मजहब इन पे तूप रहा हूं जिसको जो
करना है करे मरे मेरी तरफ से मैं तो बस
यहां बोल रहा हूं क्या बंदूक रखी मैंने सर
पे तेरे या आ गया क्या मैं घर में तेरे जो
मैं बोल रहा हूं सच्ची तो बोल रहा हूं कि
तेरे दिल को हवस भर भर के तेरे दिमाग को
गंदा करके भरते जव ना मायूसी नसी चर से दे
रहे तुझे जो जिंदा दिखाई दे मर के रहते
पसंदीदा कीड़े गठर के तेरे लिखारी कलाकार
जो सारे रहते थे मेरी और तेरी तरह ये
स्कूल से रोज ये पढ बढ़ के आते फिर खाते
रोटी दाल अपनी मां से मशहूर सा कोई भी तू
र पर उठा ले थोड़ा सा तंग वो घर के हालात
से टूटे हुए तारों के माजी में बुरे
हालातों से पैदा होती कला ये हालात अपने
रैप्स के जरिए बताते और मर्द हम सारे एक
ही तरह के लड़कों को इनकी रैप में देखे
अपनी जिंदगी सुनते इनको दिन रात ये व्यूज
पे व्यूज मशहूर इनके गाने रेवेन्यू रैपर्स
में लालच जगा दे मशहूर तहजीब मजहब बुलवा
दे देखे तो ये देसी पर कालों को छापे जब
दिन मुजरिमों पे करूं हमला मैं तुझे पता
भी है क तू तपता है क्यों के तू हारे हुए
लड़को नि कम्मो को हरामखोर को ब्रैंड
समझता है मसकी में छुपे तू अल्फाजों को
सुन तेरा पसंदीदा क्या वक्त है फिर तुझे
तेरा ये आइडल भी सूअर लगेगा जो हकता है
वही ये निगल्स है पखाना ये फैंस को खिलाते
दिखाते मॉडल न ंगी आदी फिर हवस वालों के
व्यूज पे थरा के कमा के गंध कहते कामयाबी
अगर कोई सच झूठों को चका दे चिल्ला दे
टुपा ने सब ये किया नहीं बड़ा तू हम सबको
आया है सिखाने छोड़ दे र अब मुसलमान तू
इतना ही मुनाफिक है हराम है मसकी हराम ये
हलाल वो हलाल ये हराम वो एक सफा भी
तर्जुमा का पढ़ाने चलाए जबान को ग से छापे
हदीस दिल लेक्चर इनके बस काम दो सुभाना
रब्बी लाला का मतलब तक नहीं पता ऐसा वाम
को ठीक है शोभा हराम मेरा समझ लो फिर मोह
अली मैं ये मसकी रेब छीन लूंगा इब्लीस से
मुनाफिक से मोहब्बत करी मैंने इलु मिनाया
फिना में कभी-कभी मुझसे तो दज्जाल मिलने
आता है सवाल मेरा तुझसे अगर मैं मुनाफिक
तो तू क्या इधर अपनी मां देने आया
है चल तेरे मुताबिक मान लिया कलाकारी में
होती कोई हद नहीं फिर कुत्ते की नस्ल भंग
के क्यों त के रप्स मिलाते मजहब नहीं सब
नहीं रिलेट कर पा रहे ये तेरे रैप गाने से
जैसे मैं मर रहा हूं सबको सुनाने में करें
रिलेट नहीं तो मैं क्या करूं भाई अगर इनके
दिलों में रब नहीं जबान मेरी गुस्से में
चले तो कभी बार मैं भी कर लेता हूं
बदतमीजी फिर मौत की भी परवाह नहीं होती
जैसे मैं कोई बहादुर सा फलस्तीनी बातिल का
कातिल मैं झूठों में शामिल नहीं कुर्बानी
कर दी इस जिंदगी की दुआ करना नादिर मशहूर
ना हो जाए तबाही कर देगा ये इंडस्ट्री की
बनाता रहूंगा शाहकार फिर धों को डिस
करूंगा बार-बार ताकि जब मैं रब के लौटूंगा
दरबार डिस्कोग्राफी से भी करूंगा मारधार
ये हार जीत वाला सीन नहीं है समझेंगे कैसे
चढ़ी इनकी है निसी करेंगे ये गायब करियर
थाबा उसका जिसने खराब कर दी इनकी लगसी जब
मैं बोलूं तो चरसी दिमाग में कौन सा नाम
आर है जब नेपोटिज्म भी बर खुले मु लगता
जैसे कोई बच्चा गार है करो मशहूर मेरे
दुश्मनों को मेरा जमीर खुद भी यही चार है
देख कैसे गंद दिखाए बगैर फीट पे तेरी मेरा
कमाल का अमार है ये सिंगर्स और वन बी
रैपर्स तो पहला कदम मेरी पहली सीढ़ी है
आगे मॉडल्स और एक्टर्स पॉलिटिशियन भुषण
कुमार टी सीरीज है इंडस्ट्री ये पूरी
हकीकत बदल के सजा के गुनाहों को जीती है
डिस करने की वजह मेरी सीधी है क्योंकि इन
सारों के काम इब्लीस है देखे आशिक बच्चे
मूवीज में शादी से पहले बने जोड़े फिर
दुखी गाने डिप्रेशन से भरे बना के टूटे
दिलों को ये तोड़े कुछ भी नहीं कर सकता
इनका तू नादिर जितना भी मचा ले तू रोले तो
मैं कुछ करना भी नहीं चाहता मैं तो मजाल
हूं बस इश्क हकीकी का हो के हा